मित्र ह्रदय का संबल है।

 मित्र ह्रदय का संबल है!


BY: KD MISHRA

नमस्कार दोस्तों ,आप सभी को मित्रता दिवस की की ह्रदय की अनंततम गहराइयों से बहुशः बधाई और ढेरों मंगकामनाएँ।
मैं अपने ब्लॉग की शुरुआत एक शायरी से करूँगा जो वास्तव में दोस्ती के असल महत्व को इंगित करती है:

"दोस्त ना मिल सकें वो शोहरतो समां ना हो,
द्वारिका सूनी है गर, कोई सुदामा ना हो...!”

तो आइए अब पढ़िए और मनन करिए उस कविता को जिसे लिखने के लिए मैंने
आज पूरा दिन मनन किया ,सोचा क्या लिखूं ,अंततः कुछ काव्यपुष्प सृजित हुए जो नीचे की पंक्तियों में हैं-

सुख में दु:ख में हर मुश्किल में,
हंँसकर साथ निभाता है।
खड़ी  दुपहरी में  जो सर पर, 
बनकर  छांँव  बचाता है।

अवगुण को  जो छांँट-छांँट कर  ,
मन से दूर भगाता है।
मित्र वही जो गले मिलकर,
सारे दुःख-दर्द भुलाता है।

मुस्कानों के भीतर बैठे,
गम को जो पढ़ लेता है।
सुख में बने सहारा लेकिन ,
दुःख में भी भागीदारी लेता है।

पास दूर का फर्क नहीं कुछ,
'दीप' मित्र ह्रदय का संबल है।
मित्र राम सा ,सुग्रीवों की
किस्मत के लिए ब्रह्म-बल है।

-जारी
-©कुल'दीप' मिश्रा

आपको मेरी यह कविता कैसी लगी , कमेंट के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें।
जयहिंद

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