इश्क हो गया

"इश्क़ हो गया"

BY: KD MISHRA
साथी सिविल सेवा अभ्यर्थी  मित्र के  फेसबुक स्टेट्स की कुछ पंक्तियों ने मेरे अन्तर्मन की गहराइयों को स्पर्श किया , लगा कि इन पंक्तियों को आगे बढ़ाना चाहिए,क्योंकि सिविल सेवक बनने के लिए हमारे देश में लाखों छात्र प्रतिवर्ष सिविल सेवा की परीक्षा देते है ,तो तैयारी के दौरान वास्तव में वे सभी इश्क, प्यार ,मोहब्बत भूलकर केवल और केवल अपने इस खूबसूरत सफर से इश्क कर लेते हैं, तो प्रस्तुत है सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे सभी साथी भावी सिविल सेवकों को समर्पित काव्य रचना:-

अजीब कशमकश में है
परीक्षार्थी  ए जिंदगी
मंजिल की तलाश में
सफर से इश्क़ हो गया 

ये उम्र थी , इश्क ,प्यार 
मोहब्बत, जताने की
हम लगे रहे पढ़ाई में
पढ़ाई से इश्क हो गया।

ये वक्त था , कालेज में मौज, 
मस्ती , सुंदरियां घुमाने का
हम पढ़ते रहे लक्ष्मीकांत
लक्ष्मीकांत से इश्क  हो गया।

ये दौर था ,व्हाट्सएप, फेसबुक पर
दिन -रात चैटिंग करने का
हम करते रहे ऑनलाइन पढ़ाई
हमे ऑनलाइन इश्क हो गया।

ये समय था ,अन्य मित्रों की तरह
टिकटॉक वीडियो बनाने का
हम नोट्स बनाते रहे,
हमें नोट्स से इश्क हो गया।

ये दौर था यौवन का,
घूमने ,टूर पर जाने का
हम चाल और दूरी निकलते रहे
'दीप' समय से इश्क़ हो गया।

-जारी
©कुल'दीप' मिश्रा

प्रेरणा:-



मित्र अनुराग शुक्ला की इस पोस्ट ने इस काव्यरचना को लिखने के लिए मेरा मार्गदर्शन किया ,बहुशः आभार प्रिय मित्र। मेरी ईश्वर से परमपिता परमात्मा  से यही कामना है हमारा यह 'सनम'  हमारे इश्क को समझकर ,हमारी मेहनत रूपी प्रेमउपहार को स्वीकार करे और हमें अपनी बाहों में लेकर हमें भी एक 'लोकसेवक' बना दे ताकि हम समाज के हर उस वर्ग का विकास करने का सार्थक प्रयास कर सके जो आज वर्तमान परिद्रश्य में पिछड़ा है ,उपेक्षा झेल रहा है, जिससे हमारा देश विश्व शिरमोर हो सके।

शुभकामनायें मित्र।

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17 comments:

  1. बहुत खूब मित्र 👌👌

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  2. बहुत बहुत खूब मित्र 👌👌

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  3. ह्रदय की अनंततम गहराइयों से आप सभी का बहुत बहुत आभार।

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  4. बहुत शानदार भाई
    आपकी इस प्रकार की मोटिवेशनल कविता से हम लोगो को अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्ररेणा मिलती है ।
    _jai_hind_

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    1. बहुत बहुत आभार मित्र ।

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  5. Replies
    1. तह-ए-दिल से धन्यवाद भाई।

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  6. Nice Kuldeep. Achha likhte ho. Achha laga.

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    1. तह-ए-दिल से धन्यवाद भाई।

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  7. अंतर्मन के परिदृश्य को बहुत सुंदर शब्दों में पिरोया भैया आपने...!

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