Poetry Blogs on my Birthday

एक वर्ष और बीत गया

















मेरे जीवन का
एक वर्ष और
बीत गया
मैं सोया , अगली सुबह
एक वर्ष रीत गया
मैं जागा
नई सुबह के साथ
अतीत गया
एक कोरे कागज सी नवसुबह
थी मेरे पास
उकेरने थे अशआर किन्तु
न थी कलम मेरे पास
मैं जागा
आगे बढ़ा
मेरे अधरों से
नव संगीत सृजित हुआ
एक स्वछन्द आकाश
और है मेरे पास
जिसमें लिखना है
मुझे मेरा
स्वर्णिम भबिष्य
उस भबिष्य को
खुशगवार बनाएगी
" दीप" की मेहनत
मेरी
दृण इच्छा संकल्प शक्ति…..
-जारी

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