अंजनी सुत,राम दुलारे प्रभु,हनुमान जी !

BY:KD MISHRA

आप मेरे इष्ट हो,
सर्वदा ही शिष्ट हो।
अंजनी सुत प्रभु,
आप तो विशिष्ट हो।

आप मेरे दादा जी,
आप रामपुर वाले।
छींद में आप ही हो,
आप मेरे बाला जी।

राम जी के प्यारे हो,
आप संकटमोचन।
जानकी दुलारे हो,
कोटि कोटि वंदन।

आप से सृष्टि है,
हर जगह आप हो।
कुल के इष्ट प्रभु,
दीप का प्रकाश हो।

-जारी
©कुल'दीप' मिश्रा

आपको ये काव्य रचना कैसी लगी कमेंट के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें।आपके द्वारा की गई मेरी बोद्धिक संपदा की समीक्षा ही मुझे और भी लिखने के लिए प्रेरित करती है, प्रोत्साहित करती है।

हार्दिक धन्यवाद !

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