माँ शारदे!
BY:KD MISHRA
हे मैया ,शारदे माँ
ज्ञान दे ,विज्ञान दे।
शब्दों को मैं माँझ सकूँ
मुझको ये वरदान दे।
मेरी मति मैं मैया
शब्द दे, विचार दे।
लिख सकूँ ,मैं खुद को
मुझको ये आधार दे।
मुझको हे वागीश्वरी,
लाड़ दे , दुलार दे।
लिख सकूँ मै, भावनाएँ,
भावों से मुझको प्यार दे।
हे माते ,वीणापाणी
नम्र मुझे ,स्वभाव दे।
सुन सकूँ ,बात मन की।
अनुभव मुझे हजार दे।
हे मैया,शारदे माँ,
‘दीप’ को प्रकाश दे।
तम को दूर कर सकूं माँ,
कलम में मेरी धार दे।
-जारी
©कुल'दीप' मिश्रा
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