लक्ष्य

"लक्ष्य"


BY: KD MISHRA

प्रयत्न कर, तू हल निकलेगा
आज नहीं तो, कल निकलेगा।

अर्जुन के तीर सा, तू सध,
मरूस्थल से भी, जल निकलेगा।

मेहनत कर, सपने रूपी पौधों को पानी दे,
बंजर जमीन से भी ,फल निकलेगा।

जिंदा रख, दिल में उम्मीदों को
गरल के समंदर से भी गंगाजल निकलेगा।

' दीप' उत्साह रख , खुद पर विश्वास कर,
तू अपने लक्ष्य तक ,बहुत जल्दी पहुँचेगा।




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