Dindigul fort
डिंडीगुल शहर तमिलनाडु राज्य में स्थित है। डिंडीगुल के नाम की उत्पत्ति दो शब्दों थिंडू अर्थात तकिया और कल अर्थात पत्थर से मिलकर हुई है। इसका सम्बन्ध उन नग्न पहाड़ो से है जहाँ से शहर दिखता है। यह शहर पिलानी पहाड़ियों और सुरूमलाई पहाड़ियों के बीच स्थित है और कृषि योग्य उपजाऊ भूमि का क्षेत्र है। डिंडीगुल कई जिलों और शहरों से घिरा है। इसके उत्तर में करी और इरोड जिले, दक्षिण में मदुरै और पश्चिम में तिरूप्पुर और केरल स्थित हैं। डिंडीगुल बिरयानी शहर, तालों का शहर, वस्त्रों का शहर और चमड़े का शहर जैसे कई नामों के लोकप्रिय है।
डिंडीगुल और इसके आसापास के पर्यटक स्थल
डिंडीगुल में शाही किले के अलावा कई मन्दिर और पवित्र नदियाँ हैं जहाँ जाया जा सकता है। डिंडीगुल से 7 किमी की दूरी पर स्थित एन पन्जमपत्ती भी अवश्य जाना चाहिये। यहाँ पर एक 300 साल पुराना रोमन चर्च है जो घूमने लायक है।
इसके अलावा क्राइस दी किंग चर्च और सेन्ट जोसफ चर्च शहर के अन्य प्रमुख चर्च हैं। डिंडीगुल के नजदीक ही सिरूमलाई हिल रिजॉर्ट एक सुहावना हिल स्टेशन है जो डिंडीगुल नाथन के रास्ते पर स्थित है। बेगम्बुर बड़ी मस्जिद, श्री कोट्टाई मरियम्मन कोविल, काशी विश्वनाथन, कामाक्षीअम्मन देवदण्डापत्ती मन्दिर, थण्डीकोम्बू पेरूमल मन्दिर, अबिरामी अम्मन मन्दिर, अंजनेयर मन्दिर, अथूर कामराजार झील और कामराजार सागर बाँध डिंडीगुल के आसपास कुछ दर्शनीय स्थल हैं।
वैगई, मुरुदा और मंजालरू नदियों का संगम स्थल एक और आकर्षण है जो शहर के नजदीक एक लोकप्रिय तीर्थ स्थान है। ट्रेकिंग करने के इच्छुक पर्यटक शहर में स्थित माला कोट्टाई नामक छोटी पहाड़ी पर ट्रेकिंग कर सकते हैं।
चिन्नालापट्टी पर्यटकों का एक और पसन्दीदा स्थल है। डिंडीगुल का भोजन भी पूरे दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है। डिंडीगुल अपनी बिरयानी के लिये प्रसिद्ध है, वास्तव में इसे बिरयानी शहर के नाम से भी जाना जाता है। शहर की यात्रा पर आये पर्यटकों को डिंडीगुल में लोकप्रिय विभिन्न प्रकार पकवानों को चखना कतई नहीं भूलना चाहिये।
शहर का इतिहास
पहाड़ी के ऊपर स्थित रॉकफोर्ट डिंडीगुल का सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासक चिह्न है। किले के निर्माण की शुरूआत 1605 ई0 में मदुरै के राजा मुथू कृष्णा नैकर द्वारा किया गया था और इसे 1623 ई0 से 1659 ई0 में पूरा किया गया। 1755 ई0 में हैदरअली, उनकी पत्नी और उनके पुत्र टीपू सुल्तान डिंडीगुल आये। टीपू सुल्तान ने किले पर 1784 ई0 से 1790 ई0 तक शासन किया। 1784 ई0 में टीपू सुल्तान के सेनापति ने इस किले का जीर्णोद्धार के साथ-साथ कई कमरों का निर्माण कराया और दीवारों को मजबूत किया। अंग्रेजों ने 1790 ई0 में मौसूर के युद्ध में टीपू सुल्तान को परास्त किया और इसके बाद किला अंग्रेजों के अधीन हो गया।
डिंडीगुल तक पहुँचना आसान है। शहर की यात्रा के लिये इच्छुक यात्रियों के लिये कई विकल्प हैं। डिंडीगुल के लिये सबसे निकट हवाईअड्डा मदुरै है और सबसे नजदीक अन्तर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा चेन्नई है। डिंडीगुल का रेलवेस्टेशन तमिलनाडु के कस्बों और शहरों से भलीभाँति जुड़ा है। स्थानीय रूप से घूमने फिरने के लिये ऑटो रिक्शा और टैक्सियाँ आसानी से उपलब्ध हैं।
डिंडीगुल मौसम
शहर में ऊष्णकटिबन्धीय जलवायु होने के कारण डिंडीगुल में गर्मियाँ बहुत गर्म और चिपचिपी होती हैं। इसलिये डिंडीगुल आने के सर्वश्रेष्ठ समय मॉनसून और सर्दियों के दौरान का होता है जब मौसम हल्का-फुल्का और सुहावना होता है। तापमान यात्रा करने और घूमने के लिये अनुकूल होता है। इसलिये डिंडीगुल में सितम्बर से मार्च के महीनों के दौरान आना श्रेयस्कर होता है।
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